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पानी बिना जिंदगी नहीं चल सकती: शिवराज सिंह

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘विकसित भारत संकल्प पदयात्रा’ के दूसरे दिन बुधनी विधानसभा के बिजला जोड़, चांदा ग्रहण जोड़ और भैरूंदा में किया जनसंवाद

बुधनी। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान की ‘विकसित भारत संकल्प पदयात्रा’ दूसरे दिन बुधनी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बिजला जोड़, चांदा ग्रहण जोड़ और भैरूंदा पहुंची, जहां श्री शिवराज सिंह ने उपस्थितजनों से केंद्र सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं के संबंध में चर्चा की। पदयात्रा के दौरान श्री चौहान ने सबसे पहले बिजला जोड़ में युवाओं से भेंट कर उनसे संवाद किया, इस दौरान ऑपरेशन सिंदूर और हमारी सेनाओं के शौर्य व पराक्रम की सराहना की। फिर स्ट्रीट वेंडर योजना व विश्वकर्मा योजना के हितग्राहियों से भी संवाद किया। उसके बाद श्री शिवराज सिंह चांदा ग्रहण जोड़ पहुंचें, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना, वॉटर हार्वेस्टिंग और जल संरक्षण योजनाओं के हितग्राहियों से चर्चा की। वहीं भैरूंदा में भी केन्द्रीय मंत्री ने महिला सशक्तिकरण सहित केन्द्र की योजनाओं को लेकर लाभार्थियों से संवाद किया। पदयात्रा के दौरान श्री शिवराज सिंह और पत्नी साधना सिंह ने हाथों में तीर-कमान लेकर पारंपरिक आदिवासी नृत्य भी किया।

केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, विकसित भारत संकल्प पदयात्रा के दौरान जल जीवन मिशन की कलश यात्रा में शामिल हुए और मंच से जनता को जल संरक्षण के लिए संकल्प भी दिलाया। संकल्प दिलाते हुए श्री शिवराज सिंह ने कहा कि हम शपथ लेते है कि जल का संरक्षण करेंगे और जल का विवेकपूर्ण उपयोग करेंगे। हम प्रतिज्ञा लेते हैं कि जल के इस बेशकीमती खजाने का उपयुक्त उपयोग करेंगे और जल को बर्बाद नहीं करेंगे। साथ ही अपने परिवार, मित्रों और पड़ोसियों को भी जल का उपयुक्त प्रयोग करने और जल को बर्बाद न करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। वहीं, केन्द्रीय मंत्री  चौहान ने हितग्राहियों से चर्चा करते हुए जल संरक्षण की योजनाओं के संबंध में संवाद किया और संबंधित अधिकारियों से चेकडैम, स्टॉपडैम, बोरी-बंधान, खेत-तालाब योजना, गंगाजल संवर्धन योजना के बारे में जानकारी ली और जनता को भी इन योजनाओं के बारे में सरल भाषा में समझाया। उन्होंने कहा कि जल है तो जीवन है, बिना पानी के ये जिंदगी चल नहीं सकती है, इसलिए कुएं और ट्यूबवेल को पानी को रिचार्ज करें, और घर के पानी को धरती में भेजने के उपाय करें ताकि पानी बचाया जा सके।

शिवराज सिंह चौहान ने संबोधित करते हुए कहा कि ये विकास यात्रा, विकसित भारत के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का एक संकल्प है। उन्होंने कहा कि आज मैं आप सभी को एक खुशखबरी भी देने जा रहा हूं, वर्ष 2014 में हमारे देश की अर्थव्यवस्था, दुनिया में 11वें नंबर पर थी, लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में धीरे-धीरे बढ़ते हुए ये पांचवें नंबर पर पहुंची और अब भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। साल 2014 के बाद नीतिगत बदलाव आया है और तेज़ी से फैसले लिए जा रहे हैं। शिवराज सिंह ने कहा कि मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, उद्योगों को आगे बढ़ाने के कई काम, स्टार्टअप्स, खेती का उत्पादन, इन सबसे हमारी अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ता जा रहा है और अभी तो चौथे पर आए हैं, जल्द ही हम जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरे नंबर पर आएंगे और आने वाले समय में भारत नंबर वन भी बनेगा।

केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैं इसलिए पदयात्रा निकाल रहा हूं कि, विकसित भारत के निर्माण के लिए हर एक के सीने में आग पैदा कर सकूं। हम क्या कर सकते हैं, अपना गाँव स्वच्छ रहे, पानी बचे, बेटियों का सम्मान हो, अच्छी पढ़ाई हो, आंगनवाड़ी ठीक से चले, इलाज की बेहतर व्यवस्था हो, अस्पताल ठीक चलें, जल का संरक्षण हो और योजनाओं का लाभ हर एक को मिले। गाँव को सड़कों से जोड़ने का काम तेजी से हुआ, अलग-अलग रोजगार से जोड़ने का काम हो रहा है। हम में से सभी को कोई न कोई काम करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि, मैं कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री हूँ तो मैं विकसित भारत कैसे बनाऊँगा… अगर कृषि का उत्पादन बढ़े, उसके नए-नए तरीके क्या हो सकते हैं। नई कृषि पद्धतियाँ, नए बीज, उनका उपयोग किसान कैसे करें ये मैं दिन-रात जुटा रहता हूं, तो मैं विकसित भारत के निर्माण में सहयोग दे रहा हूँ। इसी तरह हर एक का काम है, सरकारी कर्मचारी, अधिकारी अपनी ड्यूटी ईमानदारी से पूरी करें, पंच-सरपंच, जनप्रतिनिधि अपना काम ठीक से करें, हम सब अपनी-अपनी ड्यूटी ठीक से करें तो निश्चित तौर पर विकसित भारत का सपना साकार होगा।

केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 29 मई से ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ शुरू हो रहा है। इस अभियान के तहत वैज्ञानिक, किसानों के खेतों तक पहुंचेंगे। आईसीएआर के पास 16 हजार वैज्ञानिक है, जिनमें से 2 हजार 170 वैज्ञानिकों की टीमें देशभर के गांवों में पहुंचेंगी और उनके साथ चर्चा करेंगी। वैज्ञानिक गांव और उसके आसपास के क्षेत्रों की एग्रोक्लाइमैटिक कंडिशन्स, मिट्टी का स्वास्थ्य, मिट्टी के पोषक तत्व, खाद और बीज, कीटों के प्रकोप को समझेंगे और किसानों को सलाह देंगे। साथ ही किसान भी वैज्ञानिकों से अपनी समस्याओं को साझा करेंगे। इसके अलावा मिट्टी के हिसाब से कौन सी फसल उपयुक्त है, कौन से बीज बेहतर हैं, ऐसे कई विषयों पर वैज्ञानिक, किसानों से चर्चा करेंगे।

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