नई दिल्ली। पर्यावरणीय स्थिरता और समग्र कल्याण को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारतीय योग संघ (आईवाईए) ने अपनी राज्य शाखाओं के साथ मिलकर ‘हरित योग’ पहल के तहत राष्ट्रव्यापी पौधरोपण अभियान के माध्यम से 22 अप्रैल, 2025 को विश्व पृथ्वी दिवस मनाया। हरित योग अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (आईडीवाई) 2025 के दस प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है। यह योग के सिद्धांतों के पर्यावरण चेतना के साथ सहज एकीकरण पर बल देता है, जो संधारणीय जीवन के लिए वैश्विक आह्वान के साथ संरेखित है।
इस पहल का उद्देश्य यह संदेश देना है कि योग का वास्तविक सार न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य बल्कि धरती की जीवन शक्ति को भी समाहित करता है। राष्ट्रव्यापी पौधरोपण अभियान में तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, नागालैंड, नई दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पुणे, जयपुर और उत्तराखंड सहित 12 आईवाईए राज्य अध्यायों ने सक्रिय भागीदारी की। इसके साथ ही एमडीएनआईवाई, नई दिल्ली ने भी हरित भविष्य के लिए अपनी सामूहिक प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
एमडीएनआईवाई, नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में आयुष मंत्रालय के ओएसडी-आईडीवाई समन्वय पी.एन. रंजीत कुमार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। पी.एन. रंजीत कुमार ने पौधे लगाने में सक्रिय रूप से भाग लिया और समग्र स्वास्थ्य की आधारशिला के रूप में पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन जीने पर बल दिया।
पौधरोपण प्रयासों के पूरक के रूप में, शारीरिक, मानसिक और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जयपुर में विशेष योग सत्र का आयोजन किया गया। इसमें आयुर्वेदिक पेय का वितरण और पर्यावरण संरक्षण में एकता की प्रतीक मानव श्रृंखला का निर्माण किया गया।
छत्तीसगढ़ में, आईवाईए राज्य अध्याय ने दुर्ग जिले की पाटन तहसील के तेली गुंडर स्कूल में पौधरोपण अभियान का आयोजन किया। वहाँ औषधीय पौधे लगाए गए और उनकी दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ट्री गार्ड लगाए गए। अन्य राज्यों में भी इसी तरह की पहल ने योग और पर्यावरण कार्रवाई के बीच तालमेल को उजागर किया। इसमें प्रकृति क्लबों, गैर सरकारी संगठनों, योग संस्थानों और सरकारी निकायों सहित विविध संबंधित पक्षों को शामिल किया गया।
आईवाईए अध्यक्ष और योग संस्थान निदेशक माँ डॉ. हंसाजी योगेंद्र ने हरित योग की अवधारणा के लिए आयुष मंत्रालय को बधाई देते हुए कहा, “यह पहल स्थायी जीवन और योग के बीच अंतर्निहित संबंध को रेखांकित करती है। यह इस शक्तिशाली अनुस्मारक के रूप में कार्य करती है कि ग्रह और उसके लोगों की भलाई गहराई से जुड़ी हुई है।”
आईवाईए की गवर्निंग काउंसिल के सदस्य और परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने नागरिकों से योग के गहरे सार को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “योग स्वयं और प्रकृति के बीच सामंजस्य की यात्रा है, जो हमें सिखाती है कि हम प्राकृतिक विश्व का अविभाज्य अंग हैं।”
इस भावना को दोहराते हुए आईवाईए की गवर्निंग काउंसिल के सदस्य और सहारनपुर के मोक्षायतन के संस्थापक स्वामी भारत भूषण जी ने पृथ्वी को माँ के रूप में सम्मान दिया। अथर्ववेद की शिक्षा का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सभी जीवित प्राणी धरती मां की संतान हैं। उन्होंने मानवता और प्रकृति के बीच आध्यात्मिक बंधन पर बल दिया।
आईवाईए के संयुक्त सचिव और पुडुचेरी के आईसीवाईईआर अध्यक्ष डॉ. आनंद बालयोगी भवनानी ने कहा, “वृक्षासन जैसे योगाभ्यास के माध्यम से, योग माँ पृथ्वी के साथ संबंध को बढ़ावा देता है, जो कृतज्ञता से भरे पर्यावरण के अनुकूल दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करता है।”
अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस अवसर को और समृद्ध किया। उत्तराखंड राज्य अध्याय समिति की सचिव सुश्री गंगा नंदिनी ने 2025 की थीम, ‘एक पृथ्वी, एक विश्व के लिए योग’ की जानकारी दी। इसमें सभी जीवन रूपों के अंतर्संबंध पर बल दिया गया। भारत योग मोक्षायतन की अध्यक्ष आचार्य प्रतिष्ठा ने पेड़ों को भविष्य के स्थायी संरक्षक बताया। पूर्व उप निदेशक (होम्योपैथी) डॉ. मृदुला ने हरित ग्रह के लिए निरंतर व्यक्तिगत प्रयासों का आह्वान किया। वसुंधरा सेक्टर-6 स्थित एमिटी इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल श्रीमती सुनीला एथली ने योग और पौधरोपण को एकीकृत करने, सचेतन क्रिया के माध्यम से व्यक्तिगत और ग्रहीय शांति को एकजुट करने के अपने अनुभव सुनाए।
पौधरोपण अभियान योग और पर्यावरण संरक्षण के लिए वैश्विक आह्वान के बीच तालमेल का शक्तिशाली प्रतीक है। यह आयुष मंत्रालय के समग्र कल्याण को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण को पुष्ट करता है। यह इस बात पर बल देता है कि सच्चा स्वास्थ्य केवल व्यक्तिगत कल्याण ही नहीं बल्कि हमारे ग्रह की जीवन शक्ति भी है।