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उत्तर प्रदेश

मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल नोएडा ने 14 साल से पार्किंसन से पीड़ित कजाकिस्तान के 51 वर्षीय मरीज को दी नई उम्मीद

नोएडा। मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (नोएडा) के डॉक्टरों ने कजाकिस्तान के 51 वर्षीय ऐसे मरीज की केयर की है जो पिछले 14 सालों से पार्किंसन बीमारी से जूझ रहा था. डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) प्रक्रिया के सफल होने के बाद मरीज ने मोबिलिटी पाई और उनके जीवन में सुधार आया.

ये मरीज लंबे समय से दवाएं ले रहा था, इसके बावजूद गंभीर ट्रेमर, अकड़न और चलने-फिरने में दिक्कत के साथ उन्हें अपने रुटीन के कामों में भी परेशानी हो रही थी. अपनी लगातार बिगड़ती हालात के बीच मरीज मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल नोएडा पहुंचा.

मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल नोएडा में न्यूरोलॉजी के डायरेक्टर डॉक्टर के.एम. हसन और मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल नोएडा में न्यूरोसर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर रोहित पांडे के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम ने डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) के लिए मरीज का मूल्यांकन किया. ये एक मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है.

डीबीएस एक न्यूरो मॉड्यूलेशन प्रक्रिया है जिसमें असामान्य ब्रेन सिग्नल को कंट्रोल करने के लिए विभिन्न मस्तिष्क नाभिक में बहुत महीन इलेक्ट्रोड इम्प्लांट किया जाता है. अलग-अलग सिग्नल में पार्किंसंस रोग/ डिस्टोनिया/आवश्यक ट्रेमर और मेडिकेशन रिफ्रेक्टरी ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर शामिल हैं.

इस मामले के बारे में बताते हुए डॉक्टर के.एम. हसन ने कहा, ”मरीज 14 वर्षों से पार्किंसंस रोग से पीड़ित था और समाधान की तलाश में हमारे पास आया था. मरीज को ट्रेमर, मार्क्ड मोटर उतार-चढ़ाव और डिस्केनेसिया की समस्या थी जो दवाओं से कंट्रोल नहीं हो रही थी. मरीज का वर्षों से दवाओं से इलाज हो रहा था लेकिन बीमारी बढ़ने के कारण दवाएं असर नहीं कर रही थीं. हमने डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) प्रक्रिया के लिए मरीज की जांच-पड़ताल की.”

मरीज के लिए डीबीएस प्रक्रिया की सफलता के बारे में बोलते हुए, मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल नोएडा में न्यूरोसर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर रोहित पांडे ने कहा, ”जब हमने प्रक्रिया शुरू की, तो रोगी जो प्रक्रिया के दौरान जागा हुआ था, उसे हाथ और पैर के कंपन में तुरंत राहत महसूस होने लगी, साथ ही सर्जरी के दौरान ऑर्गन की कठोरता में काफी कमी आई. ऑपरेशन के बाद मरीज के ट्रेमर में कमी आई, चलना-फिरना ठीक हो गया और रुटीन कामकाज में भी सुधार होने लगा. इसके अतिरिक्त एंटी-पार्किंसंस दवाओं की आवश्यकता काफी कम हो गई, जिससे उनके जीवन की समग्र गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ. डीप ब्रेन स्टिमुलेशन पार्किंसंस के मरीजों के लिए एक जीवन बदलने वाली प्रक्रिया है, जो मेडिकल ट्रीटमेंट से थक चुके हैं और उन्हें अधिक स्वतंत्र जीवन जीने का मौका देते हैं. यह नैदानिक/शारीरिक निगरानी और छवि मार्गदर्शन के तहत की जाने वाली बेहद सुरक्षित प्रक्रिया है. कजाकिस्तान के इस मरीज का सफल इलाज जटिल न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के इलाज में अस्पताल की विशेषज्ञता और पार्किंसंस रोग के लिए एक अग्रणी सेंटर के रूप में इसकी भूमिका को दर्शाता है.”

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