– कारखाना अधिनियम में सुधारों से बढ़ी पंजीकरण दर, प्रक्रियाएं हुईं आधुनिक और पारदर्शी
– सीएम योगी के नेतृत्व में औद्योगिक विकास और श्रमिक कल्याण को मिली नई दिशा
– योगी सरकार के श्रमिक हितैषी नीतियों के बल पर श्रम विभाग ने दर्पण डैशबोर्ड पर A+ श्रेणी में हासिल किया चतुर्थ स्थान
– ई-ऑफिस परिसंचालन में प्रदेश ने हासिल किया दूसरा स्थान, पंजीकृत कारखानों में 99% की रिकॉर्ड वृद्धि
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में कारखाना अधिनियम के तहत लागू किए गए सुधारों ने औद्योगिक विकास और श्रमिक कल्याण को नई दिशा दी है। पिछले नौ वर्षों में पंजीकृत कारखानों की संख्या 2016 के 13,809 से बढ़कर 2025 में 27,453 हो गई है, तकरीबन 100 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है। डिजिटल नवाचार, पारदर्शी प्रक्रियाओं और श्रमिक हितैषी नीतियों के बल पर श्रम विभाग ने दर्पण डैशबोर्ड पर A+ श्रेणी में चतुर्थ स्थान और ई-ऑफिस परिसंचालन में प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल किया है। भारत सरकार के उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग द्वारा जारी बिजनेस रिफॉर्म्स एक्शन प्लान (BRAP) की सिफारिशों के क्रियान्वयन में भी श्रम विभाग ने शानदार प्रदर्शन किया, जो 2018 में 14वें स्थान से 2022-23 में ‘टॉप अचीवर्स’ श्रेणी तक पहुंचा।
उद्यमियों और श्रमिकों दोनों के हितों को ध्यान में रख रही योगी सरकार
योगी सरकार ने कारखाना अधिनियम के तहत कई महत्वपूर्ण सुधार लागू किए हैं, जिनसे उद्यमियों और श्रमिकों दोनों को लाभ हुआ है। श्रम विभाग से प्राप्त आकंड़े के अनुसार, विद्युत चालित कारखानों में कर्मचारियों की न्यूनतम संख्या 10 से बढ़ाकर 20 और बिना विद्युत चालित कारखानों में 20 से बढ़ाकर 40 कर दी गई है, जिससे छोटे उद्यमों को राहत मिली है। महिलाओं के लिए कार्य अवसर बढ़ाने के लिए रात्रि पाली में सुरक्षा और परिवहन की शर्तों के साथ काम करने की छूट दी गई है। इसके अलावा, 13 प्रतिबंधित प्रक्रियाओं में महिलाओं को कार्य करने की अनुमति की प्रक्रिया प्रगति पर है, जो लैंगिक समानता को बढ़ावा देगा।
कारखाना अधिनियम प्रबंधन प्रणाली ने बढ़ाई औद्योगिक विकास और पारदर्शिता
उत्तर प्रदेश सरकार के कारखाना अधिनियम प्रबंधन प्रणाली ने औद्योगिक विकास और पारदर्शिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में राज्य में 27,453 कारखाने पंजीकृत हैं, वहीं नए पंजीकरण के लिए 24 आवेदन और संशोधन के लिए 37 आवेदन लंबित हैं। इसके अलावा, 1,522 कारखानों को नवीनीकरण के लिए एसएमएस और रिमाइंडर भेजे गए हैं। साथ ही, 2,184 सीआईएस निरीक्षण पूर्ण किए गए हैं, जो श्रमिक कल्याण और कारखाना नियमों के पालन में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
निवेश मित्र पोर्टल के माध्यम से 14 में से 10 सेवाएं एकीकृत
डिजिटल सुधारों ने कारखाना अधिनियम की सेवाओं को और अधिक पारदर्शी और सुगम बनाया है। पंजीकरण, संशोधन, निरीक्षण चेकलिखी, सूचना, टिप्पणियां, और अनुपालन जैसी प्रक्रियाएं अब पूरी तरह ऑनलाइन और निर्बाध हैं। नवीनीकरण प्रक्रिया को ऑटो मोड में लाकर इसमें मानवीय हस्तक्षेप समाप्त कर दिया गया है। निरीक्षण कार्यवाही की रीयल-टाइम मॉनिटरिंग, जीपीएस लोकेशन, फोटो-वीडियो अपलोड और अनुवर्ती अभिलेखों की ऑनलाइन सुविधा ने प्रक्रिया को और विश्वसनीय बनाया है। कारखाना मालिकों को निरीक्षण के बाद अनुपालन के लिए समय दिया जाता है और गैर-अनुपालन की स्थिति में उच्च स्तर की अनुमति के बिना अभियोजन नहीं होता। निवेश मित्र पोर्टल के माध्यम से 14 में से 10 सेवाएं एकीकृत की गई हैं, जिनमें 5 सेवाएं ऑटो मोड में हैं।
ये सुधार उद्यमियों के लिए अनुकूल वातावरण सृजित करने के साथ-साथ श्रमिकों के हितों की रक्षा भी सुनिश्चित करते हैं। ऑनलाइन प्रणालियों ने प्रशासनिक प्रक्रियाओं को तेज और पारदर्शी बनाया है, जिससे उद्योगों में विश्वास बढ़ा है। श्रम विभाग का यह प्रदर्शन उत्तर प्रदेश को निवेश और औद्योगिक विकास के लिए पसंदीदा गंतव्य बनाए में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
औद्योगिक और श्रम कल्याण के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनने की ओर अग्रसर यूपी
मुख्यंमत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी नीतियों और ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र ने उत्तर प्रदेश को औद्योगिक प्रगति के पथ पर अग्रसर किया है। कारखाना अधिनियम के तहत किए गए सुधार न केवल उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहित कर रहे हैं, बल्कि श्रमिकों के लिए सुरक्षित और समावेशी कार्य वातावरण भी सुनिश्चित कर रहे हैं। यह प्रगति राज्य को आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की ओर तेजी से ले जा रही है। योगी सरकार के इन प्रयासों से उत्तर प्रदेश औद्योगिक और श्रम कल्याण के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनने की ओर अग्रसर है।
पंजीकृत कारखानों की वर्षवार संख्या
वर्ष कारखानों की संख्या
2016-17 – 360
2017-18 – 833
2018-19 – 1049
2019-20 – 1028
2020-21 – 838
2021-22 – 1028
2022-23 – 1492
2023-24 – 3085
2024-25 – 3644
2025-26 ( 14 मई, 2026 तक)- 286