नई दिल्ली। विकलांगता एवं मानसिक स्वास्थ्य – भारत में पुनर्वास मनोविज्ञान का दायरा और सीमाएँ विषय पर आधारित रेजिलिएंस राष्ट्रीय सम्मेलन 2025 आज राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान (एनआईएच एफडब्ल्यू) , नई दिल्ली में शुरू हुआ। यह सम्मेलन सृष्टि बाल एवं किशोर मानसिक स्वास्थ्य संस्थान द्वारा एनआईएचएफडब्ल्यू के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य पुनर्वास मनोविज्ञान और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में नए रास्ते तैयार करना है।
उद्घाटन दिवस की शुरुआत सुबह 9:00 बजे प्रतिभागियों के पंजीकरण के साथ हुई, जिसके बाद एक औपचारिक उद्घाटन समारोह हुआ। सृष्टि की प्रबंध सचिव डॉ. प्रीति नंदी ने स्वागत भाषण दिया और दो दिनों के गहन विचार-विमर्श की शुरुआत की। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के पूर्व निदेशक और सृष्टि के संरक्षक श्री केवीएस राव ने सभा को संबोधित करते हुए नीतिगत दृष्टिकोणों पर प्रकाश डाला।सृष्टि के संस्थापक एवं अध्यक्ष डॉ. राजीव नंदी ने उद्घाटन भाषण दिया और पूरे भारत में पुनर्वास सेवाओं में व्याप्त कमियों को दूर करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया।
मुख्य अतिथि, दिल्ली सरकार के उप निदेशक (दिव्यांगता) श्री राहुल अग्रवाल ने स्थानीय शासन और दिव्यांगजन समावेशन पर अपने विचार साझा किए। यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस के प्राचार्य डॉ. धीरज शाह ने एक आकर्षक संबोधन के माध्यम से अपना समर्थन व्यक्त किया।मुख्य अतिथि, एनआईएचएफडब्ल्यू के निदेशक डॉ. सुनील विलास राव गिट्टे ने मुख्य उद्घाटन भाषण दिया और भारत में मानसिक स्वास्थ्य और पुनर्वास ढाँचे को आगे बढ़ाने के लिए एनआईएचएफडब्ल्यू की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।प्रो. डॉ. मीनाक्षी तोमर, डॉ. गीता श्रॉफ, श्री आलोक दीक्षित और श्री अजीत सिंह सहित गणमान्य व्यक्तियों को इस क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
एम्स की प्रो. (डॉ.) शेफाली गुलाटी द्वारा आयोजित पहले मुख्य सत्र में बाल चिकित्सा तंत्रिका-पुनर्वास और प्रौद्योगिकी की भूमिका पर चर्चा की गई, जिसने आगामी सत्रों के लिए एक उच्च मानक स्थापित किया। उद्घाटन दिवस का समापन एनआईएचएफडब्ल्यू की डॉ. मीराम्बिका महापात्रो के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिससे सम्मेलन की एक सार्थक शुरुआत हुई, जो कल भी जारी रहेगा।
तकनीकी सत्रों के मुख्य अंश इस प्रकार थे:
– रेड डोर की प्रणामी द्वारा लिखित संकट, विकार नहीं: चिकित्सा मॉडल के बाहर मानसिक स्वास्थ्य सुधार से अंतर्दृष्टि ।
– डॉ. कीर्ति सुधा राजपूत द्वारा लिखित “भारत में पुनर्वास मनोविज्ञान का दायरा: मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में अंतराल को पाटना ।
– प्रो. (डॉ.) नप्पिनई राजगोपाल द्वारा लिखित “तंत्रिका संबंधी विकारों में पुनर्वास मनोविज्ञान की भूमिका।
दोपहर के भोजन के बाद के सत्रों में निम्नलिखित महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की गई:
– डॉ. राजीव नंदी, डॉ. कीर्ति सुधा राजपूत, श्री केवीएस राव और डॉ. अशील मोहम्मद के नेतृत्व में एक विचारोत्तेजक पैनल चर्चा के माध्यम से भारत में पुनर्वास मनोविज्ञान अभ्यास में कानूनी और नैतिक मुद्दे।
– डॉ. रोमा कुमार द्वारा लिखित तंत्रिका-विकासात्मक विकारों के लिए मनोवैज्ञानिक पुनर्वास को आगे बढ़ाना ।
– डॉ. संचिता घोष द्वारा दीर्घकालिक बीमारी और विकलांगता में मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियाँ।