Connect with us

आध्यात्म

संस्कृति, सेवा और शक्ति का उत्सव: गाज़ियाबाद विभाग का शाखा संगम सम्पन्न

गाज़ियाबाद। राष्ट्र सेविका समिति, गाज़ियाबाद विभाग द्वारा शाखा संगम कार्यक्रम का अत्यंत भव्य और प्रेरणादायक आयोजन दिनांक 6 अप्रैल 2025 (रविवार) को स्वामी विवेकानंद सरस्वती विद्या मंदिर, राजेन्द्र नगर, साहिबाबाद में संध्या 5 बजे से 6:30 बजे तक संपन्न हुआ। इस संगम में गाज़ियाबाद विभाग की लगभग 70 शाखाओं की 500 से अधिक सेविकाएँ, जो कि लगभग 20 गाठों में विभाजित थीं, एकत्रित होकर संगठित शक्ति और सेवा भावना का अद्भुत परिचय प्रस्तुत कर रही थीं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता उमा अग्रवाल , निदेशक  शांति गोपाल अस्पताल, इंदिरापुरम द्वारा की गई। उन्होंने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में आयोजन समिति को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि मुझे इस कार्यक्रम में आमंत्रित कर इतना सुंदर अनुभव और ऊर्जा देने के लिए मैं गाज़ियाबाद विभाग की आभारी हूँ। इतनी सेवा, समर्पण और अनुशासन को एक साथ देखना अपने आप में एक सीख है।

इस अवसर पर  साध्वी ऋतंभरा  की शिष्या, श्री श्री १००८ महामंडलेश्वर साध्वी सत्यप्रिया गिरी द्वारा उनके ‘आशीर्वचन’ प्रस्तुत किए गए।

साध्वी ऋतंभरा ने अपने संदेश में कहा:

“हमें हिंदुओं को संगठित होकर समाज और संस्कृति निर्माण की दिशा में कार्य करना चाहिए। आज का समय हमें एक विकसित और सुरक्षित भारत की ओर ले जाने का है, और यह तभी संभव होगा जब हम सभी अपनी-अपनी भूमिकाओं को निष्ठा से निभाएँ।”

उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई के त्याग और शौर्य को याद करते हुए कहा कि “उन्होंने अपने प्राणों की बाज़ी लगाकर मातृभूमि की रक्षा की। उनकी तरह हर महिला को अपने अंदर वह ऊर्जा जगानी होगी।”
रानी पद्मावती के जौहर की बात करते हुए उन्होंने कहा, “उन्होंने आत्मगौरव के लिए आग में प्रवेश किया, लेकिन आज की पीढ़ी सोशल मीडिया पोस्ट में उलझी है। संस्कार और आत्मबल की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है।परिवारों में परंपराओं, मूल्यों और संस्कृति की धारणा बनाए रखने की जिम्मेदारी आज की महिलाओं पर है। वही सच्ची संस्कारवाहिनी हैं।

प्रमुख संचालिका शांता अक्का  ने अपने वक्तव्य में कहा:

शाखा संगम हमारे संगठन का जीवंत उत्सव है। यह केवल कार्यक्रम नहीं, बल्कि सेविकाओं की साधना, संस्कृति और समर्पण का दृश्यात्मक चित्रण है। यहां सेविकाएँ जो प्रतिदिन शाखा में अभ्यास करती हैं – जैसे योग, घोष, आत्मरक्षा, गीत – उन्हें समाज के समक्ष प्रस्तुत करने का अद्भुत अवसर मिलता है।

उन्होंने आगे कहा कि हमारी सेविकाएँ केवल अपनी शाखाओं का नहीं, बल्कि अपने परिवारों और समाज की भी रीढ़ हैं। वे इस संगठन की आत्मा हैं – जो अपने भीतर अनुशासन, आदर्श और संस्कार का दीप जलाए हुए हैं। ऐसी संगठित शक्ति ही राष्ट्र निर्माण की दिशा में क्रांतिकारी परिवर्तन लाती है।

कार्यक्रम में घोष वादन, आत्मरक्षा प्रदर्शन, योग, देशभक्ति गीत, नाट्य प्रस्तुति एवं विविध सांस्कृतिक झलकियों ने उपस्थित सभी लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

यह संगम नारी शक्ति, संस्कार और संगठन के अद्वितीय समन्वय का सजीव उदाहरण बना। सेविकाओं ने यह सिद्ध कर दिया कि राष्ट्र सेवा में महिला शक्ति एक अमूल्य स्तंभ है।

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *