राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, भुवनेश्वर के 5वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित किया
भुवनेश्वर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भुवनेश्वर के 5वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर ओडिशा के राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, ओडिशा के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, संसदीय कार्य, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री मुकेश महालिंग और भुवनेश्वर से लोकसभा की संसद सदस्य अपराजिता सारंगी भी उपस्थित थी। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले 12 वर्षों में, संस्थान ने उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने कहा कि महान दूरदर्शी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा वर्ष 2003 में स्थापित, एम्स भुवनेश्वर न केवल ओडिशा में, बल्कि पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखंड आदि जैसे पड़ोसी राज्यों में भी गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक कल्याण गतिविधियों के क्षेत्र में जनता का विश्वास जीतने में सफल रहा है।
एम्स भुवनेश्वर की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि पिछले एक वर्ष में एम्स भुवनेश्वर में 10 लाख से अधिक बाह्य रोगियों को उपचार मिला है, जबकि 17 लाख नैदानिक परीक्षण और 25,000 शल्य चिकित्सा की गई हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु कहा कि अपनी विशेषज्ञता और अति-विशिष्ट सेवाओं के साथ, संस्थान अपने विभिन्न विभागों में समग्र स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि चाहे शिक्षण हो, अनुसंधान हो या स्वास्थ्य सेवा, एम्स भुवनेश्वर ने हर क्षेत्र में ख्याति अर्जित की है। यहां तक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सर्जिकल उपकरणों और इम्प्लांट पुनर्प्रसंस्करण में उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए एम्स भुवनेश्वर की उत्कृष्टता को एशिया सेफ सर्जिकल इम्प्लांट कंसोर्टियम (एएसएसआईसी) गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (क्यूआईपी) पुरस्कार से सम्मानित किया है। संस्थान को लगातार पांच वर्षों तक असाधारण स्वच्छता और अन्य अस्पताल सेवाओं के लिए राष्ट्रीय कायाकल्प पुरस्कार भी मिला है।
एम्स भुवनेश्वर के संकाय और छात्रों की सराहना करते हुए राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि संस्थान ने गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान में भी उत्कृष्टता का प्रदर्शन किया है और संस्थान के कई चिकित्सक चिकित्सा देखभाल के माध्यम से समाज सेवा में लगे हुए हैं। श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने चिकित्सकों को भगवान के रूप की संज्ञा देते हुए उत्तीर्ण छात्रों से समाज के कल्याण में योगदान देने का आग्रह किया और आशा व्यक्त की कि वे अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करना जारी रखेंगे।
ओडिशा के राज्यपाल, हरि बाबू कंभमपति ने अपने संबोधन में कहा कि देश भर में एम्स संस्थानों की स्थापना एक न्यायसंगत और सुलभ स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के निर्माण की दिशा में एक दूरदर्शी पहल थी, जहां गुणवत्तापूर्ण देखभाल सभी तक पहुंचती है, चाहे उनका स्थान और आर्थिक स्थिति कुछ भी हो और एम्स भुवनेश्वर ने इसे साकार करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि एम्स भुवनेश्वर राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुखता से उभरा है और एम्स नई दिल्ली के बाद दूसरे स्थान पर है। यह पूर्वी भारत में चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और रोगी देखभाल के लिए एक प्रकाश स्तंभ बन चुका है।
उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान, एम्स भुवनेश्वर ने परीक्षण, उपचार, टीकाकरण और जन जागरूकता के केंद्र के रूप में कार्य किया। यह प्रतिक्रिया चिकित्सा उत्कृष्टता और संस्थान द्वारा निभाई गई सामाजिक जिम्मेदारी को दर्शाती है। श्री हरि बाबू कंभमपति ने अपने संबोधन का समापन करते हुए कहा कि एम्स भुवनेश्वर केवल एक संस्थान नहीं है, बल्कि सेवा, नवाचार और विश्वास की विरासत है।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी और गतिशील नेतृत्व में, एम्स भुवनेश्वर ने कई गुना प्रगति की है। प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य सेवाओं के डिजिटल परिवर्तन और आधुनिकीकरण पर ज़ोर दिया है। एम्स भुवनेश्वर में ई-भुगतान सुविधाओं जैसी पहल, प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं और इसने स्वास्थ्य सेवाओं को आम जनता के लिए अधिक सुलभ और कुशल बनाया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा सिकल सेल एनीमिया जैसी बीमारियों के उन्मूलन पर बल दिए जाने के साथ, एम्स भुवनेश्वर को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में मान्यता मिलना, इस संस्थान के महत्व को दर्शाता है। बहुत कम समय में, एम्स भुवनेश्वर उत्कृष्टता, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा का प्रतीक बन गया है। अपने संकाय और छात्रों की दूरदर्शिता, समर्पण और प्रतिबद्धता के कारण, यह चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के अग्रणी संस्थानों में से एक बन गया है। यह संस्थान न केवल ओडिशा, बल्कि पूरे देश का गौरव है।
दीक्षांत समारोह के दौरान कुल 643 छात्रों को डिग्री प्रदान की गई, जिनमें 196 एमबीबीएस डिग्री, 158 एमएस, 49 एमडी, 116 पोस्ट-डॉक्टोरल फेलो, 62 बीएससी नर्सिंग और 41 एमएससी नर्सिंग शामिल हैं। एम्स भुवनेश्वर के विभिन्न विषयों जैसे डीएम/एमसीएच (1 स्कॉलर), एमडी/एमएस (1), एमबीबीएस (17), बीएससी नर्सिंग (3), बीएससी पैरामेडिकल (7), एमएससी नर्सिंग (2) के 59 मेधावी छात्रों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। इस अवसर पर एम्स भुवनेश्वर के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) शैलेश कुमार, एम्स भुवनेश्वर के कार्यकारी निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रो. (डॉ.) आशुतोष विश्वास, संकाय सदस्य एवं छात्र उपस्थित थे।