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हम 21वीं सदी की जरूरतों के अनुसार देश की शिक्षा प्रणाली का आधुनिकीकरण कर रहे हैं: प्रधानमंत्री

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली के भारत मंडपम में युग्म इनोवेशन सम्मेलन को संबोधित किया। इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने सरकारी अधिकारियों, शिक्षाविदों और विज्ञान एवं अनुसंधान पेशेवरों के महत्वपूर्ण समूह पर विशेष रूप से गौर किया और हितधारकों के संगम को “युग्म” करार दिया – एक सहयोग जिसका उद्देश्य विकसित भारत के लिए भविष्य की प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाना है। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इस आयोजन के माध्यम से भारत की नवाचार क्षमता और डीप-टेक में इसकी भूमिका को बढ़ाने के प्रयासों को गति मिलेगी। प्रधानमंत्री ने वाधवानी फाउंडेशन, आईआईटी और इन पहलों में शामिल सभी हितधारकों को बधाई दी। उन्होंने निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के बीच सहयोग के माध्यम से देश की शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलावों को बढ़ावा देने में उनके समर्पण और सक्रिय भूमिका के लिए श्री रोमेश वाधवानी की विशेष सराहना की।

प्रधानमंत्री मोदी ने संस्कृत के धर्मग्रंथों का हवाला देते हुए कहा कि सेवा और निस्वार्थ भाव से सच्चा जीवन जिया जाता है। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को भी सेवा के माध्यम के रूप में काम करना चाहिए। उन्होंने वाधवानी फाउंडेशन जैसी संस्थाओं और रोमेश वाधवानी और उनकी टीम के प्रयासों को देखकर संतोष व्यक्त किया, जिन्होंने भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को सही दिशा में आगे बढ़ाया। उन्होंने वाधवानी की उल्लेखनीय यात्रा पर प्रकाश डाला, जिसमें विभाजन के बाद की स्थिति, अपने जन्मस्थान से विस्थापन, बचपन में पोलियो से जूझना और इन चुनौतियों से ऊपर उठकर एक विशाल व्यापारिक साम्राज्य का निर्माण करना शामिल है। प्रधानमंत्री मोदी ने वाधवानी की भारत के शिक्षा और अनुसंधान क्षेत्रों को अपनी सफलता समर्पित करने के लिए सराहना की और इसे एक अनुकरणीय कार्य बताया। उन्होंने स्कूल शिक्षा, आंगनवाड़ी प्रौद्योगिकियों और कृषि-तकनीक पहलों में फाउंडेशन के योगदान को स्वीकार किया। उन्होंने वाधवानी इंस्टीट्यूट ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की स्थापना जैसे कार्यक्रमों में अपनी पिछली भागीदारी का उल्लेख किया और विश्वास व्यक्त किया कि फाउंडेशन भविष्य में अनेक उपलब्धियां हासिल करना जारी रखेगा और वाधवानी फाउंडेशन को उनके प्रयासों के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं।

किसी भी राष्ट्र का भविष्य उसके युवाओं पर निर्भर करता है और उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने के महत्व पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तैयारी में शिक्षा प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत की शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने के प्रयासों पर जोर दिया। उन्होंने वैश्विक शिक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की शुरूआत पर प्रकाश डाला और भारतीय शिक्षा प्रणाली में इसके द्वारा लाए गए महत्वपूर्ण बदलावों का उल्लेख किया। उन्होंने राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा, शिक्षण सामग्री और कक्षा एक से सात तक के लिए नई पाठ्यपुस्तकें तैयार करने पर टिप्पणी की। उन्होंने पीएम ई-विद्या और दीक्षा प्लेटफार्मों के तहत एआई-आधारित और स्केलेबल डिजिटल शिक्षा बुनियादी ढांचा मंच – ‘एक राष्ट्र, एक डिजिटल शिक्षा अवसंरचना’ तैयार करने पर प्रकाश डाला, जिससे 30 से अधिक भारतीय भाषाओं और सात विदेशी भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों की तैयारी संभव हो सकी। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क ने छात्रों के लिए एक साथ विभिन्न विषयों का अध्ययन करना आसान बना दिया है, जिससे आधुनिक शिक्षा मिल रही है और करियर के नए रास्ते खुल रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भारत के अनुसंधान इकोसिस्‍टम को मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया, जिसमें अनुसंधान एवं विकास पर सकल व्यय को 2013-14 में ₹60,000 करोड़ से दोगुना करके ₹1.25 लाख करोड़ से अधिक करने, अत्याधुनिक अनुसंधान पार्कों की स्थापना और लगभग 6,000 उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठों के निर्माण पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत में नवाचार संस्कृति के तेजी से विकास पर टिप्पणी की, जिसमें 2014 में लगभग 40,000 से 80,000 से अधिक पेटेंट दाखिल करने की वृद्धि का हवाला दिया, जो युवाओं को बौद्धिक संपदा इकोसिस्‍टम द्वारा प्रदान किए गए समर्थन को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए ₹50,000 करोड़ के राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना और वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन पहल पर प्रकाश डाला, जिसने उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों की विश्वस्तरीय शोध पत्रिकाओं तक पहुँच आसान कर दी है। उन्होंने प्रधानमंत्री अनुसंधान फैलोशिप पर जोर दिया, जो सुनिश्चित करता है कि प्रतिभाशाली व्यक्तियों को अपने करियर को आगे बढ़ाने में कोई बाधा न आए।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आज के युवा न केवल अनुसंधान और विकास में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं, बल्कि वे स्वयं भी मुस्तैद और बैचेन हो गए हैं। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए भारत की युवा पीढ़ी के परिवर्तनकारी योगदान पर जोर दिया। उन्होंने भारतीय रेलवे के सहयोग से आईआईटी मद्रास में विकसित 422 मीटर के दुनिया के सबसे लंबे हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक के चालू होने जैसी महत्वपूर्ण उपलब्धि का हवाला दिया। उन्होंने नैनो-स्केल पर प्रकाश को नियंत्रित करने के लिए आईआईएससी बैंगलोर के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित नैनो तकनीक और आणविक फिल्म में 16,000 से अधिक चालन अवस्थाओं में डेटा संग्रहीत और संसाधित करने में सक्षम ‘ब्रेन ऑन ए चिप’ तकनीक जैसी अभूतपूर्व उपलब्धियों पर टिप्पणी की। उन्होंने कुछ सप्ताह पहले ही भारत की पहली स्वदेशी एमआरआई मशीन के विकास पर भी प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “भारत के विश्वविद्यालय परिसर गतिशील केन्द्रों के रूप में उभर रहे हैं, जहां युवाशक्ति महत्वपूर्ण नवाचारों को आगे बढ़ा रही है”, जो उच्च शिक्षा प्रभाव रैंकिंग में दुनिया भर के सूचीबद्ध 2,000 संस्थानों में से 90 से अधिक विश्वविद्यालयों में भारत का प्रतिनिधित्व दर्शाता है। श्री मोदी ने कहा, उन्होंने क्यूएस विश्व रैंकिंग में वृद्धि का उल्लेख किया, जहां भारत में 2014 में नौ संस्थान थे, जो 2025 में बढ़कर 46 हो गए, साथ ही पिछले एक दशक में दुनिया के शीर्ष 500 उच्च शिक्षा संस्थानों में भारतीय संस्थानों का प्रतिनिधित्व भी बढ़ रहा है। उन्होंने विदेशों में परिसर स्थापित करने वाले भारतीय संस्थानों पर भी टिप्पणी की, जैसे कि अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली, तंजानिया में आईआईटी मद्रास और दुबई में आगामी आईआईएम अहमदाबाद। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अग्रणी वैश्विक विश्वविद्यालय भी भारत में परिसर खोल रहे हैं, जिससे भारतीय छात्रों के लिए शैक्षणिक आदान-प्रदान, शोध सहयोग और अंतर-सांस्कृतिक सीखने के अवसरों को बढ़ावा मिल रहा है।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, “प्रतिभा, स्वभाव और प्रौद्योगिकी की त्रिमूर्ति भारत के भविष्य को बदल देगी”, उन्होंने अटल टिंकरिंग लैब्स जैसी पहलों पर प्रकाश डाला, जिसमें 10,000 प्रयोगशालाएँ पहले से ही चालू हैं, और इस वर्ष के बजट में बच्चों को शुरुआती अनुभव प्रदान करने के लिए 50,000 और प्रयोगशालाओं की घोषणा की गई है। उन्होंने छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए पीएम विद्या लक्ष्मी योजना के शुभारंभ और छात्रों के सीखने को वास्तविक दुनिया के अनुभव में बदलने के लिए 7,000 से अधिक संस्थानों में इंटर्नशिप सेल की स्थापना का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि युवाओं में नए कौशल विकसित करने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है, जिनकी संयुक्त प्रतिभा, स्वभाव और तकनीकी ताकत भारत को सफलता के शिखर पर ले जाएगी।

सम्मेलन के दौरान, वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के नेतृत्व में उच्चस्तरीय गोलमेज/पैनल चर्चाएँ आयोजित की गईं, जिसमें उद्योग और शिक्षा जगत के शीर्ष नेता शामिल हुए। सम्मेलन का उद्देश्य भारत के नवाचार इकोसिस्टम में बड़े पैमाने पर निजी निवेश को बढ़ावा देना; अग्रणी तकनीक में अनुसंधान से व्यावसायीकरण पाइपलाइनों में तेजी लाना; शिक्षा-उद्योग-सरकार साझेदारी को मजबूत करना; एएनआरएफ और एआईसीटीई नवाचार जैसी राष्ट्रीय पहलों को आगे बढ़ाना; संस्थानों में नवाचार की पहुँच को लोकतांत्रिक बनाना; और विकसित भारत@2047 की दिशा में राष्ट्रीय नवाचार संरेखण को बढ़ावा देना था।

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