भोपाल/नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित राज्य स्तरीय सहकारी सम्मेलन को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित किया। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, राज्य के सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग और केन्द्रीय सहकारिता सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि मध्य प्रदेश में कृषि, पशुपालन और सहकारिता, तीनों क्षेत्र में ढेर सारी संभावनाएं मौजूद हैं और उनका शत-प्रतिशत दोहन करने के लिए ढेर सारा काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सालों से देश में सहकारिता आंदोलन मृतप्राय होता जा रहा था और देश में अलग-अलग स्तर पर बंटा हुआ था। इसकी वजह यह थी कि सहकारी कानूनों में समय के साथ जरूरी बदलाव नहीं हुए।
अमित शाह ने कहा कि हमारे संविधान में मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव छोड़कर सारे कोऑपरेटिव राज्यों का विषय है। उन्होंने कहा कि देश में तेजी से बदलती हुई परिस्थितियों के अनूकूल कानून बनाने की पहल कभी नहीं की गई। हर राज्य की भौगोलिक परिस्थिति, बारिश की स्थिति, ग्रामीण विकास, कृषि विकास और पशुपालन के आयाम को ध्यान में रखते हुए कभी राष्ट्रीय स्तर पर कोई विचार किया ही नहीं गया। केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि यह विचार होता भी कैसे, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर कोई सहकारिता मंत्रालय ही नहीं था। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल बाद देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की और उन्हें पहला सहकारिता मंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सहकारिता क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया है और अब यह क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान में जो मर्यादाएं थीं, वो आज भी हैं। आज भी सहकारिता राज्य का विषय है। भारत सरकार सहकारिता के क्षेत्र में कोई कानूनी बदलाव नहीं कर सकती। लेकिन फिर भी प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) को पुनर्जीवित करने, डेयरी क्षेत्र को बढ़ावा देने, उत्पादन के क्षेत्र में सहकारिता को ले जाने, शहरी सहकारी बैंकों, जिला सहकारी बैंकों और ग्रामीण बैंकों के सुचारू व्यवस्थापन की दिशा में प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्रालय ने सबसे पहले PACS के लिए मॉडल बायलॉज बनाने का काम किया और राज्य सरकारों को इसे स्वीकृति के लिए भेजा। आज सम्पूर्ण भारत ने इन मॉडल बायलॉज को स्वीकार कर लिया है। मॉडल बायलॉज स्वीकार करने के लिए राज्यों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए श्री शाह ने कहा कि इस कदम से सहकारिता क्षेत्र में नई जान आई है। उन्होंने कहा कि जब तक PACS मजबूत नहीं होती, तब तक तीन स्तरीय सहकारी खाका मजबूत नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि पहले PACS सिर्फ लघु अवधि के कृषि ऋण देने का काम करते थे, जिसमें उन्हें करीब आधे प्रतिशत का होता था। लेकिन आज PACS 20 से अधिक प्रकार की सेवाएं प्रदान कर रहे और नए सुधारों से PACS की आय भी बढ़ेगी।
अमित शाह ने कहा कि आज ही यहाँ PACS को जन औषधि केन्द्र, जल वितरण, कॉमन सर्विस सेंटर जैसी सेवाएं प्रदान करने के लिए अनुमति दी गई है। उन्होंने कहा कि आज 300 से ज्यादा योजनाएं PACS के कंप्यूटर पर लोगों के लिए उपलब्ध हैं। रेल टिकट, बिजली बिल, पानी बिल, जन्म और मृत्यु प्रमाण-पत्र लेने के लिए किसी को गांव के बाहर जाने की जरुरत नहीं है, यह सारी सुविधाएं अब PACS में उपलब्ध हैं। ढेर सारे PACS ने इन सेवाओं से आय प्राप्त की है। PACS अब फर्टिलाइजर के डीलर भी बन सकते हैं, पेट्रोल पंप भी शुरू कर सकते हैं, रसोई गैस का वितरण भी कर सकते हैं और ‘हर घर नल’ योजना का व्यवस्थापन भी कर सकते हैं।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि नए बायलॉज के तहत PACS, डेयरी सहकारी समितियों और मत्स्य सहकारी समितियों को एक कर बहुद्देशीय पैक्स (Multi Purpose PACS – MPACS) बनाने का काम हुआ। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने 2500 करोड़ रुपए खर्च करके देश के सभी PACS का कंप्यूटराइजेशन कराया है। PACS के कंप्यूटराइजेशन में पूरे देश में मध्य प्रदेश का पहला स्थान है। अब जिला सहकारी बैंक और राज्य सहकारी बैंक कंप्युटर नेटवर्क के कारण NABARD से जुड़े हुए हैं। अब ऑनलाइन ऑडिट की व्यवस्था होने से सहकारिता के क्षेत्र में पारदर्शिता भी आई है।
अमित शाह ने कहा कि कंप्यूटराइज हो चुके PACS भारत की 13 भाषाओं में किसान की भाषा में काम कर रहे। भारत सरकार ने PACS के लिए ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार कराया है कि अगर किसान को बैंक अकाउंट खोलना है, तो मध्य प्रदेश में हिन्दी में काम होगा, गुजरात है तो गुजराती में, बंगाल है तो बंगाली में और तमिलनाडु है तो तमिल में काम होगा।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर की तीन नई सहकारी समितियाँ बनाई गई हैं। किसानों के उत्पाद को वैश्विक बाजार में बेचने के लिए राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (NCEL) और किसानों को उनके ऑर्गेनिक उत्पाद के लिए ज्यादा दाम दिलाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक लिमिटेड (NCOL) की स्थापना हुई। उन्होंने कहा कि इन दोनों पहलों के कारण यह दोनों संस्थाएं आगामी 20 साल में अमूल और अन्य संस्थाओं से भी बड़ी संस्था बनने जा रही है। केन्द्रीय सहकारिता मंत्री शाह ने कहा कि भारत के मीठे बीजों और नॉन हाइब्रिड बीजों के संरक्षण और संवर्धन के लिए भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (BBSSL) नाम की राष्ट्रीय सहकारी संस्था बनाई गई है। उन्होंने कहा कि पहले बीज की खेती बड़े किसान ही कर सकते थे, लेकिन अब 2.5 एकड़ की जोत वाले किसान को भी मौका दिया जा रहा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वार बनाई गई मल्टीस्टेट कोआपरेटिव NCEL, NCOL और BBSSL से किसानों को उपज का उचित दाम, निर्यात के लिए प्लेटफार्म मिल रहा और मुनाफा सीधे बैंक खाते में पहुँच रहा है।
NCEL, NCOL और BBSSL के माध्यम से किसानों को अपनी उपज का उचित दाम और वैश्विक बाजार में जाने के लिए प्लेटफार्म मिलेगा, साथ ही मुनाफे की रकम भी सीधा किसानों के बैंक खाते में चली जाएगी, जो कि एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।