नई दिल्ली। लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के लिए विशेष रूप से ग्रामीण एवं जनजातीय समुदायों की महिलाओं का समावेशन और सशक्तिकरण महत्वपूर्ण है। स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण ग्रामीण समस्याओं का समाधान करने में महिलाओं के नेतृत्व का लाभ उठाने के महत्व पर जोर देते हुए, लोकसभाध्यक्ष बिड़ला ने जनजातीय महिलाओं की उद्यमशीलता की भावना की प्रशंसा की जो पारंपरिक शिल्प, ऑनलाइन व्यवसायों और स्थानीय उत्पादन से संबंधित पहलों के माध्यम से आत्मनिर्भर गांवों का निर्माण कर रही हैं। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए और अधिक समर्थन का आह्वान किया कि महिलाओं के नेतृत्व वाले ये उद्यम वैश्विक बाजारों तक पहुंचें और भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए आर्थिक विकास में योगदान दें।
लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए, लोकसभाध्यक्ष ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम को महिलाओं के नेतृत्व के प्रति भारत की प्रगतिशील दृष्टिकोण के प्रमाण के रूप में उद्धृत किया। लोकसभाध्यक्ष बिरला संविधान सदन के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में राष्ट्रीय महिला आयोग तथा जनजातीय कार्य मंत्रालय के सहयोग से लोकसभा सचिवालय के पार्लियामेंट्री रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट फॉर डेमोक्रेसीज (प्राइड) द्वारा आयोजित ‘पंचायत से संसद 2.0’ कार्यक्रम में बोल रहे थे।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम; केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी, महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री सवित्री ठाकुर, सांसदगण; लोकसभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह और राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर शामिल थीं।
इस आयोजन, जिसमें 22 राज्यों एवं केन्द्र-शासित प्रदेशों के पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) की 500 से अधिक जनजातीय महिला प्रतिनिधियों की भागीदारी देखी गई, ने महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास और जमीनी स्तर पर सशक्तिकरण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के एक मंच के रूप में कार्य किया। भारत की लोकतांत्रिक और विकासात्मक यात्रा में महिलाओं के अमूल्य योगदान को स्वीकार करते हुए, लोकसभाध्यक्ष बिड़ला ने संविधान सभा की उन 15 महिला सदस्यों को हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनके योगदान भारत में महिला सशक्तिकरण से संबंधित आंदोलन को प्रेरित करते हैं।
आजादी के 75 वर्षों में भारत की यात्रा की चर्चा करते हुए, लोकसभाध्यक्ष ने पंचायती राज प्रतिनिधियों से झांसी की रानी लक्ष्मी बाई और जनजातीय नेता भगवान बिरसा मुंडा जैसी हस्तियों के बलिदान से प्रेरणा लेने का आह्वान किया, जो दृढ़ता और समानता के प्रतीक हैं। उन्होंने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि भगवान बिरसा मुंडा का संघर्ष वनों और भूमि के संरक्षण से परे था, जिसका लक्ष्य जनजातीय समुदायों की गरिमा और आत्म-सम्मान की रक्षा करना था। उन्होंने प्रतिभागियों से भगवान बिरसा मुंडा के जीवन और विरासत से प्रेरणा लेने का आग्रह किया।
यह बताते हुए कि लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत के पास शासन में महिलाओं की भागीदारी की विरासत है जो दुनिया को निरंतर प्रेरित करती रहती है, श्री बिरला ने कहा कि जमीनी स्तर पर पंचायतों से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर संसद तक बदलाव लाने, जवाबदेही सुनिश्चित करने और समावेशी विकास का मॉडल विकसित करने में महिलाओं का नेतृत्व महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की बढ़ती उपस्थिति की सराहना की। कई राज्यों ने महिलाओं के लिए अनिवार्य 33 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को पार कर लिया है, जो कुछ मामलों में 50 प्रतिशत से अधिक तक पहुंच गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये उपाय प्रतीकात्मक नहीं हैं बल्कि टिकाऊ और समावेशी शासन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं ।