नई दिल्ली(TBC News)। भारत में चाय के शौकीन एक ढूंढोगे तो हजारों मिल जाएंगे। यहां दुख, सुख, गम, खुशी, ब्रेकअप, दोस्ती, लड़ाई, पैचअप हर चीज शुरूआत और अंत चाय पर होता है। चाय इनकी जिÞंदगी का वो हिस्सा जो कभी अलग नहीं हो सकता। शाययद यही कारण है कि सारे आईआईटी और आईआईएम किये लड़के चाय का स्टार्टअप कर रहे हैं क्योंकि चाय एक पेय पदार्थ नहीं बल्कि अलार्म, स्ट्रेस बस्टर, दिल, दिमाग सबकुछ है।

चाय की छोटी थड़ी भी बड़ा मुनाफा देती है, तभी तो युवा जॉब न करने से बेहतर चाय की थड़ी लगाना समझते हैं अभी तक एमबीए चायवाला, करोड़पति चायवाला और कैदी चायवाला सहित कई चाय वाले हैं जिन्होंने अपने स्वाद सबका दिन बनाया है।
आईआईटी ग्रेजुएट नितिन सलूजा ने भी एक चाय की दुकान की शुरुआत की थी। उसने उसी जगह पर अपनी चाय की दुकान खोली जहां वो कभी अपने दोस्तों के साथ कॉफी पीने जाते थे।
कॉलेज टाइम में एक बार नितिन के पास कॉफी खरीदने के लिए 20 रुपये नहीं थे। तब उन्होंने अपने दोस्तों और सीनियर से 1-1 रुपये लेकर कॉफी खरीदी।
नितिन ने अपने दोस्त के साथ मिलकर अपना पहला कैफे गुड़गांव के साइबर सिटी में खोला था। वित्त वर्ष 2022 में कंपनी ने 134.9 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया था।
नितिन को चाय बेचने का विचार तब आया जब वो जॉब के लिए अमेरिका गए। इस दौरान उन्हें अमेरिका में किसी भी जगह पर एक कप चाय नहीं मिली तभी उनके मन में ख़्याल आया कि ये तो सही नहीं है। इसके बाद, दो साल तक अपने स्टार्ट-अप की प्लानिंग की और पहला कैफे खोला। इनके कैफे दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और बेंगलुरु में हैं।
कंपनी ने पिछले साल सीरीज सी राउंड में अज्ञात मूल्यांकन पर 53 मिलियन डॉलर कमाये थे। रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी का इस साल अपेक्षित मूल्यांकन लगभग 240-250 मिलियन डॉलर भारतीय रुपये में 2051 करोड़ रुपये था।
चायोस के सह-संस्थापक नितिन सलूजा ने कहना है कि इस कमाई हुई पूंजी से हम अपनी टेक्नॉलजी में बदलाव लाएंगे ताकि हमारे कस्टमर्स को हमारे यहां आकर बेहतर अनुभव हो। हम अपने कैफे की पहुंच को बढ़ाना जारी रखेंगे और जिन शहरों में हम मौजूद हैं, वहां गहराई तक जाएंगे और नए बाजारों का पता लगाएंगे। हम जिस पैमाने तक पहुंचना चाहते हैं उसके लिए हम लगातार प्रतिभाओं का सामना कर रहे हैं और करते रहेंगे।