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आध्यात्म

श्री दिगंबर जैन मंदिर वसुंधरा में आयोजित दसलक्षण महापर्व के समापन समारोह पर निकाली गई भव्य शोभायात्रा

ट्रांस हिंडन। श्री दिगंबर जैन मंदिर वसुंधरा में दसलक्षण महापर्व का समापन समारोह एवं विशाल शोभायात्रा का आयोजन किया गया। प्रातः में पालकी में श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ जी सेक्टर 10 मंदिर से सेक्टर 3 मंदिर पहुंचे। जिसके बाद  जिसके बाद सेक्टर 3 मंदिर से विशाल शोभा यात्रा शुरू होकर वसुंधरा के विभन्न क्षेत्र में पुनः मंदिर में पहुच कर समाप्त हुई। विशाल शोभा यात्रा के दौरान रथ पर नरेश कुमार भगवान जी की सेवा में मौजूद रहे। वही अचल जैन को सारथी, रजत जैन को कुबेर और आयुष व अर्पित को इंद्र बनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। शोभायात्रा के मंदिर पहुचने पर श्री जी का अभिषेक शांतिधारा हुई।
मंदिर के शास्त्री जी ने बताया कि दसलक्षण धर्म, जैन धर्म का एक पर्व है। इसे दसलक्षण पर्व या पर्यूषण पर्व भी कहा जाता है. इस पर्व में जैन धर्म के अनुयायी दस लक्षणों का पालन करते हैं: उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन्य, उत्तम ब्रह्मचर्य।

दसलक्षण पर्व साल में तीन बार मनाया जाता है, लेकिन मुख्य रूप से यह पर्व भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से लेकर चतुर्दशी तक मनाया जाता है। इस पर्व के दौरान जैन धर्म के अनुयायी व्रत रखते हैं और एक ही समय पर भोजन करते साथ ही त्याग तपस्या करते है। दस दिनों तक हुए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रतिभागियों को तथा प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरुस्कार प्रदान किये गए। जो बच्चे किसी भी प्रतियोगिता में स्थान न प्राप्त कर सके उन्हें भी सांत्वना पुरस्कार दिए गए।

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