केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने अनौपचारिक क्षेत्र में श्रमिकों के लिए औपचारिकीकरण और सामाजिक सुरक्षा कवरेज: चुनौतियां और नवाचार पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया
नई दिल्ली। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार तथा युवा मामले एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज नई दिल्ली में “अनौपचारिक क्षेत्र में श्रमिकों के लिए औपचारिकीकरण एवं सामाजिक सुरक्षा कवरेज: चुनौतियां एवं नवाचार” विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस तकनीकी संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे, सचिव (श्रम एवं रोजगार) सुश्री सुमिता डावरा, आईएसएसए अध्यक्ष डॉ. मोहम्मद अजमान सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
डॉ. मांडविया ने सभा को संबोधित करते हुए दो दिवसीय संगोष्ठी के महत्व का उल्लेख करते हुए इस बात पर जोर दिया कि सामाजिक सुरक्षा आम लोगों तक पहुंचनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा कर सकें। उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा की अवधारणा प्राचीन काल से चली आ रही है और यह एक सतत प्रक्रिया बनी हुई है। महान दार्शनिक चाणक्य का उल्लेख करते हुए डॉ. मांडविया ने इस बात पर जोर दिया कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों, विशेष रूप से समाज के सबसे निचले तबके के लोगों को सभी प्रकार के लाभ और जीवन जीने संबंधी पर्याप्त सुविधाएं मिलनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि स्वरोजगार करने वाले व्यक्तियों को भी सामाजिक सुरक्षा जैसे उपाय प्रदान किए जाने चाहिए।
डॉ. मांडविया ने कहा कि भारत के आकार और जनसांख्यिकीय विविधता को देखते हुए, पिछले एक दशक में किसी भी अन्य देश ने अपने नागरिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा में सुधार के लिए भारत जितना काम नहीं किया है। उन्होंने उल्लेख किया “आईएलओ की विश्व सामाजिक सुरक्षा रिपोर्ट 2024-26 के अनुसार भारत का सामाजिक सुरक्षा दायरा 24.4 प्रतिशत से दोगुना होकर 48.8 प्रतिशत हो गया है। देश के लगभग 920 मिलियन लोग, यानी 65 प्रतिशत आबादी, केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत कम से कम एक सामाजिक सुरक्षा लाभ (नकद या वस्तु के रूप में) के अंतर्गत आते हैं। सामाजिक सुरक्षा कवरेज को बढ़ाने में भारत की पर्याप्त प्रगति के कारण दुनिया के औसत सामाजिक सुरक्षा कवरेज में 5 प्रतिशत अंकों की वृद्धि हुई है”। भारत ने स्वास्थ्य सुरक्षा, पेंशन सुरक्षा, आजीविका सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिससे अपने लोगों के लिए व्यापक समर्थन सुनिश्चित हुआ है।
डॉ. मांडविया ने विशिष्ट उपलब्धियों को साझा किया, जिनमें 600 मिलियन भारतीयों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा के अंतर्गत देश भर में 24,000 से अधिक अस्पतालों में 5 लाख रुपये तक का निःशुल्क स्वास्थ्य कवर उपलब्ध है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले निशुल्क खाद्यान्न वितरण से 800 मिलियन लोग लाभान्वित होते हैं। उन्होंने कहा कि ई-श्रम पोर्टल का शुभारंभ एक अन्य महत्वपूर्ण पहल रही है, जिसने 300 मिलियन से अधिक अनौपचारिक श्रमिकों का पंजीकरण करने और सामाजिक सुरक्षा लाभों तक पहुँचने में सक्षम बनाया है। उन्होंने उल्लेख किया कि पिछले 10 वर्षों में, इन सामाजिक सुरक्षा उपायों के कारण 248 मिलियन लोग गरीबी से बच गए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने भारत की प्रभावशाली आर्थिक वृद्धि पर भी प्रकाश डाला, जिसमें 6.7 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि और 643 मिलियन लोगों का कार्यबल शामिल है। उन्होंने कहा कि पिछले 6 वर्षों में कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी 23.3 प्रतिशत से बढ़कर 41.7 प्रतिशत हो गई है। डॉ. मांडविया ने बढ़ती गिग अर्थव्यवस्था का उल्लेख करते हुए घोषणा की कि नई श्रम संहिता ने गिग श्रमिकों को परिभाषित किया है, और उन्हें सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने भी इस सभा को संबोधित किया और सेमिनार के महत्व पर जोर देते हुए इसे समय की जरूरत बताया। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि यह अंतरराष्ट्रीय आयोजन अनौपचारिक श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। करंदलाजे ने श्रमिकों के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने, उन्हें भेदभाव और शोषण से बचाने और समान आर्थिक और सामाजिक अवसर प्रदान करने के लिए सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि यह दृष्टिकोण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा निर्धारित स्पष्ट दिशा के अनुरूप है, जो राष्ट्र निर्माण में अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हैं और उन्हें “विकसित भारत” (विकसित भारत) बनाने में भागीदार बताते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार और सामाजिक सुरक्षा संस्थानों दोनों के लिए यह आवश्यक है कि वे ऐसे कार्यक्रम तैयार करने में नए तरीके अपनाए और सहयोग करें जो श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा में अंतराल को प्रभावी ढंग से संबोधित करें।
इस कार्यक्रम में सचिव (श्रम एवं रोजगार) सुमिता डावरा ने पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने तथा गुणवत्तापूर्ण रोजगार सृजन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्होंने जनसांख्यिकीय लाभांश का दोहन करने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि भारत की 65 प्रतिशत से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। सुश्री डावरा ने उल्लेख किया कि औपचारिक क्षेत्र के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार ईपीएफओ और ईएसआईसी के माध्यम से केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया के मार्गदर्शन में सेवाओं को मजबूत कर रही है तथा श्रमिकों के लिए दायरे का विस्तार कर रही है। उन्होंने अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के सरकार के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला, तथा ई-श्रम पोर्टल सहित कई योजनाओं के शुभारंभ का जिक्र किया, जो एक वन-स्टॉप समाधान के रूप में कार्य करता है। यह पहले से ही पोर्टल पर पंजीकृत 300 मिलियन से अधिक असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए केंद्रीय और राज्य कल्याण योजनाओं तक आसान पहुंच प्रदान करता है।