प्रधानमंत्री मोदी ने एक साथ नौ वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना
नई दिल्ली। रेलवे के इतिहास में रविवार यानि 24 सितंबर को इतिहास रचा गया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साथ नौ वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने जिन वंदे भारत ट्रेनों की शुरुआत की उनमें राउरकेला-भुवनेश्वर-पुरी वंदे भारत एक्सप्रेस और कासरगोड-तिरुवनंतपुरम वंदे भारत एक्सप्रेस लगभग तीन घंटे जल्दी सफर तय करेंगी। हैदराबाद-बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस 2.5 घंटे से अधिक समय की बचत करेगी। तिरुनेलवेली-मदुरै-चेन्नई वंदे भारत एक्सप्रेस 2 घंटे से अधिक समय की बचत करेगी। रांची-हावड़ा वंदे भारत एक्सप्रेस, पटना-हावड़ा वंदे भारत एक्सप्रेस और जामनगर-अहमदाबाद वंदे भारत एक्सप्रेस लगभग एक घंटे के समय की बचत करेंगी तथा उदयपुर-जयपुर वंदे भारत एक्सप्रेस लगभग आंधे घंटे जल्दी सफर तय करेंगी।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हरी झंडी दिखाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि वंदे भारत ट्रेनें नए भारत के नए जोश, नए उत्साह और नई उमंग का प्रतीक है। आज जिन ट्रेनों को शुरू किया गया है, वे पहले की तुलना में ज्यादा आधुनिक और आरामदायक हैं। साथ ही उन्होंने इस दौरान चंद्रयान 3 की सफलता, जी20 समिट का सफल आयोजन और हाल ही में संसद के विशेष सत्र में नारी शक्ति वंदन अधिनियम का जिक्र भी किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वंदे भारत ट्रेनों ने पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी ला दी हैं। जिन जगहों पर वंदे भारत ट्रेन पहुंच रही हैं, वहां पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। इससे वहां रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं.देश में आधुनिक कनेक्टिविटी विस्तार का यह अभूतपूर्व अवसर है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वो दिन दूर नहीं, जब वंदे भारत देश के हर हिस्से को कनेक्ट करेगी। ये दुर्भाग्य रहा पहले भारतीय रेलवे को आधुनिक बनाने पर उतना ध्यान नहीं दिया गया। लेकिन, हमारी सरकार भारतीय रेलवे के कायाकल्प करने में जुटी है। साल 2014 में जितना रेल बजट था उससे आठ गुना ज्यादा बजट दिय गया है। मोदी ने कहा कि पहले सरकारों में जब कैबिनेट का गठन होता था, तब इस बात की चर्चा होती थी कि रेल मंत्रालय किसे मिलेगा। माना जाता था कि रेल मंत्री जिस राज्य से होगा उसी राज्य में ज्यादा ट्रेनें चलेगी। उसमें भी होता था कि नई ट्रेनों की घोषणा कर दी जाती थी लेकिन, पटरी पर बहुत कम उतरती थी। इस स्वार्थ भरी सोच ने रेलवे का ही नहीं देश और देश के लोगों का बहुत बड़ा नुकसान किया।