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उत्तर प्रदेश

प्रदेश सरकार पीपीपी मॉडल पर प्रदेश के 54 बस स्टेशनों का कराने जा रही कायाकल्प

एयरपोर्ट जैसे खूबसूरत और अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त होंगे यूपी के 54 बस स्टेशन

बसों के जरिए प्रतिवर्ष 5.8 करोड़ यात्रियों को एक से दूसरे गंतव्य स्थल तक ले जाती हैं यूपी रोडवेज की बसें

रिटेल स्पेस, गेस्ट हाउस, डॉरमेट्री, विज्ञापन स्पेस, पार्किंग, रेस्टोरेंट, फूडकोर्ट, कॉमर्शियल ऑफिस स्पेस की भी होगी सुविधा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में यात्री सुविधाओं को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए योगी सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। प्रदेश के 54 बस स्टेशनों को अत्याधुनिक और सुविधाजनक बनाने के लिए उनके कायाकल्प की योजना तैयार की गई है। यह परियोजना पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर आधारित होगी, जिससे यात्री अनुभव को बेहतर बनाया जा सके। साथ ही बस स्टेशनों को आत्मनिर्भर भी बनाया जा सके। उत्तर प्रदेश रोडवेज की बसें हर साल करीब 5.8 करोड़ यात्रियों को 12,500 बसों के जरिए एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाती हैं। इस बढ़ती मांग को देखते हुए बस स्टेशनों को विश्वस्तरीय बनाने की योजना तैयार की गई है। हाल ही में इससे संबंधित एक प्रेजेंटेशन प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के सामने प्रस्तुत किया गया है। सरकार इस प्रोजेक्ट को जल्द कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत कर सकती है।

इन सुविधाओं से लैस होंगे यूपी के बस स्टेशन
प्रदेश के जिन 54 बस स्टेशनों का कायाकल्प होना है, उन्हे आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा, जिनमें रिटेल स्पेस, गेस्ट हाउस, डॉरमेट्री, विज्ञापन स्पेस, पार्किंग, रेस्टोरेंट, स्वच्छ शौचालय, फूडकोर्ट और कॉमर्शियल ऑफिस स्पेस जैसी सुविधाएं शामिल होंगी। इन सुविधाओं के जरिए न केवल यात्रियों को आरामदायक अनुभव मिलेगा, बल्कि बस स्टेशनों को आत्मनिर्भर भी बनाया जाएगा। इसके अंतर्गत मिनिमम 4 हजार स्क्वायर मीटर क्षेत्रफल में इन बस स्टेशनों को डेवलप करने की तैयारी है। इसमें कम से कम 18 मीटर के एप्रोच रोड की व्यवस्था की जाएगी। बस अड्डे से जुड़ी गतिविधियों के लिए जहां 55 प्रतिशत एरिया रिजर्व रखा जाएगा, वहीं 45 प्रतिशत भाग में अन्य कॉमर्शियल गतिविधियां संचालित की जाएंगी, जिनसे रेवेन्यू प्राप्त किया जा सके।

इन बस स्टेशनों के कायाकल्प की तैयारी
योगी सरकार जिन 54 बस स्टेशनों के कायाकल्प की तैयारी कर रही है, उनमें खुर्जा, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, नहटौर, लोनी, नोएडा, गढ़, हाथरस, एटा, फाउंड्री नगर, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, झांसी, बदायूं, मुरादाबाद, रामपुर, गोला, भिनगा, गोंडा, बलरामपुर, निचलौल, सोनौली, गौरीबाजार, देवरिया, फैजाबाद डब्ल्यू एस, फैजाबाद वी एस, अकबरपुर, मछलीशहर, रुद्रपुर, पीलीभीत, बेलथरा रोड, रसड़ा, तरवा, काशी, विंध्याचल, रॉबर्ट्सगंज, चुर्क, ओबरा, अमेठी, कुंडा, सराय अकिल, रावतपुर, उन्नाव, माती, हरदोई, नैमिषारण्य, सिधौली, जानकीपुरम, कैसरबाग, हैदरगढ़, जगदीशपुर, बादशाहपुर, जौनपुर और बस्ती शामिल हैं।

‘आत्मनिर्भर’ होंगे बस स्टेशन
परियोजना के तहत न्यूनतम 40 प्रतिशत बिल्डअप एरिया बस टर्मिनल, कमर्शियल एसेट और कमर्शियल कॉम्प्लेक्स के लिए आरक्षित होगा, 60 प्रतिशत जगह बसों के खड़े होने, गैराज, पार्क आदि के लिए रखा जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यात्री सुविधाओं को प्राथमिकता दी जाए और साथ ही कमर्शियल डेवलपमेंट के जरिए आय सृजन भी किया जाए। बस टर्मिनल प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 2 साल का समय निर्धारित किया गया है। वहीं, कमर्शियल एसेट और कॉम्प्लेक्स के निर्माण कार्य को 7 साल में पूरा किया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के साथ-साथ बस स्टेशनों को आत्मनिर्भर बनाना है। परियोजना को पीपीपी मॉडल पर लागू किया जा रहा है, जिससे निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। इससे बस स्टेशनों की आय में भी वृद्धि होगी और सरकार पर वित्तीय बोझ कम पड़ेगा।

यात्री अनुभव में होगा सुधार
सरकार का उद्देश्य है कि प्रदेश के बस स्टेशन यात्रियों के लिए एयरपोर्ट जैसे अनुभव प्रदान करें। यात्रियों को स्वच्छता, सुरक्षा और आराम का पूरा ध्यान रखा जाएगा। यह योजना न केवल यात्रा को सुविधाजनक बनाएगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगी। योगी सरकार का यह कदम राज्य में परिवहन प्रणाली को एक नई दिशा देने का प्रयास है।

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